मेरी सच्ची साथी! हाई स्कूल में मैंने बहुत सारी यादों को संजोया। अध्यापक और अध्यापिकाओं का स्नेह और प्यार भी मुझे मिला और उनकी चहेती भी मैं बनी। कोचिंग में भी सर अपने से नीचे क्लास की लड़के लड़कियों को सवालों के जवाब बताने के लिए मुझे ही भेज देते थे।उन दिनों को याद कर आज भी चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। जैसा कि मैंने तुम्हें पिछली बार बताया था कि आठवीं कक्षा में जब मेरा नामांकन हुआ था अपने क्रमांक के कारण मुझे पीछे बैठना पड़ता था,उस वक्त इस बात को मैंने अपने दिल पर ले लिया था और कठिन परिश्रम कर जब मैं नवमी में गई तब मेरा क्रमांक चार था मुझसे भी पढ़ने में अधिक तेज और भी लड़कियां और लड़के मेरी कक्षा में शामिल थे लेकिन फिर भी मैंने हार नहीं मानी थी और मैंने उस वक्त सोचा कि अब मैं और मेहनत करूंगी और फर्स्ट या सेकंड तो आऊंगी ही।
मेरी सच्ची साथी! मैंने ये बात मन ही मन में ठान लेने के बाद दिन - रात मेहनत करनी शुरू कर दी थी। सब कुछ भूल गई थी और दिन-रात पढ़ाई में ही लगी रहती थी। कोचिंग में भी अधिक से अधिक समय अपने विषय के सवालों को हल करने में ही मेरा जाता था। सुबह में कोचिंग जाती थी उसके बाद स्कूल और शाम में आने के बाद घर में पढ़ाई और फिर रात में भी पढ़ाई। खेलने का मन भी नहीं करता था, उस वक्त खेलना तो मैंने छोड़ ही दिया था क्योंकि उस वक्त मेरा एक ही लक्ष्य था कि मुझे दसवीं में फर्स्ट या सेकंड आना है।
मेरी सच्ची साथी! कहते हैं ना कि मेहनत हमेशा ही रंग लाती है मेरी मेहनत ही रंग लाई लेकिन उस रंग को मैं परीक्षा के परिणाम के दिन ना तो देख ही पाई और ना ही सुन पाई क्योंकि जिस दिन परीक्षा का परिणाम आना था उस दिन मैं बीमार पड़ गई और चाह कर भी स्कूल नहीं जा पाई लेकिन मेरे दोस्तों ने मुझे घर आकर बता दिया था कि तुम फर्स्ट आई हो। बहुत खुश हुई थी मैं उस दिन लेकिन अफसोस इस बात का रहा कि सबके सामने मैं फर्स्ट आने की खुशी अपने चेहरे पर सबको दिखा नहीं सकी और सभी लड़के- लड़कियां मेरे चेहरे को देख नहीं सके कि यही वह लड़की है जो अपनी कक्षा में फर्स्ट आई है। खैर! जब दसवीं कक्षा में मेरा पहला दिन था सबके सामने जब मंजुला मैम ने मुझे यह कहकर सबसे मिलवाया कि यही वह लड़की है जो फर्स्ट आई है तब मैं अपने आप को बहुत ही खुश नसीब महसूस कर रही थी, उस दिन तो मेरे पास ही जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। अपने आपको आसमान में उड़ता हुआ महसूस कर रही थी मैं और चाह रही थी कि आगे भी यह आसमान मुझे मिलता रहे।
मेरी सच्ची साथी! दसवीं में तो मैं फर्स्ट आ गई थी लेकिन अब मुझे अपनी बोर्ड की तैयारी में लगना था और उसका भी यही लक्ष्य था कि मैं फर्स्ट आने के साथ-साथ अच्छे नंबर भी लाओ ताकि मुझे अच्छा कॉलेज मिल सके। बोर्ड परीक्षा में भी मेरी मेहनत रंग लाई और मैं अच्छे नंबरों के साथ फर्स्ट आई और मुझे वह अच्छा कॉलेज भी मिल गया जिसमें मैं पढ़ना चाहती थी। वह कॉलेज लड़कियों का ही कॉलेज था, उस कॉलेज के बारे में आगे जब तुमसे मिलूंगी तब बातें करूंगी तब तक के लिए मुझे जाने की इजाजत दो।
🙏🏻🙏🏻 बाय बाय 🙏🏻🙏🏻
गुॅंजन कमल 💗💞💗
Radhika
09-Mar-2023 01:44 PM
Nice
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अदिति झा
03-Feb-2023 01:19 PM
Nice 👍🏼
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प्रत्यंगा माहेश्वरी
02-Feb-2023 11:29 PM
Behtarin rachana
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